भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित जानकारी का खुलासा करने का आदेश दिया
11 मार्च 2024: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार (11 मार्च) को इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bonds) से संबंधित जानकारी प्रदान करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के समय विस्तार के आवेदन को खारिज कर दिया। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि आवश्यक जानकारी बैंक के पास पहले से ही मौजूद है। न्यायलय ने एसबीआई को 12 मार्च (व्यापार बंद होने तक) जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया है।
पृष्ठभूमि:
- 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था।
- अदालत ने कहा था कि गुमनाम इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन करते हैं।
न्यायालय का आदेश:
- न्यायालय ने एसबीआई द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदारों और भुनाने वालों के बारे में जानकारी का खुलासा करने के लिए 6 मार्च तक की समय सीमा तय की थी।
- एसबीआई ने जून 30 तक का विस्तार अनुरोध दायर किया था, लेकिन न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया।
- न्यायालय ने चुनाव आयोग को 15 मार्च 2024 को शाम 5 बजे तक अपनी वेबसाइट पर जानकारी प्रकाशित करने का निर्देश दिया।
मुख्य बिंदु:
- न्यायालय ने कहा कि एसबीआई के पास पहले से ही आवश्यक जानकारी मौजूद है।
- न्यायालय ने कहा कि बैंक को यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि कौन से बॉन्ड किन राजनीतिक दलों के पास गए।
- न्यायालय ने कहा कि बैंक को जानकारी का खुलासा करने में देरी करने का कोई औचित्य नहीं है।
यह जानकारी क्यों महत्वपूर्ण है?
- इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक दलों को दान करने का एक गुमनाम तरीका है।
- न्यायालय का फैसला राजनीतिक दलों के वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने में मदद करेगा।
- यह नागरिकों को यह जानने का अधिकार देगा कि राजनीतिक दलों को कौन धन दे रहा है।
यह जानकारी कैसे प्राप्त करें:
- आप चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जाकर इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- आप सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत जानकारी प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
यह जानकारी साझा क्यों करें:
- यह जानकारी राजनीतिक दलों के वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने में मदद करेगी।
- यह नागरिकों को यह जानने का अधिकार देगा कि राजनीतिक दलों को कौन धन दे रहा है।
- यह एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है।